Friday, 30 November 2012
Thursday, 29 November 2012
Wednesday, 28 November 2012
SHIKAYAT HAI ???????
क्यूँ पत्थर की मूरत को यूँ खुदा बना डाला
वो खुद ही परेशां है अपनी मुजबूरियों पे
क्यूँ कर के दुआ उसको आँखों में बसा डाला
उससे तो बेहतर है पत्थर के सनम अपने
वो नफरत तो करते है वादों से मुकरते है
पत्थर तो पत्थर है कब सुनता,कुछ कहता है
क्यूँ जोड़ के हाथो को माथे पे बिठा डाला
क्यूँ करके दुआ उसको आँखों में बसा डाला ...
माथे पे शिकन सी है आँखों में उदासी है
इंसान की रूहे तो जन्मो से प्यासी है
ये ऐसे ही तरसती है मोहब्बत को तरसती है
क्यूँ तोडके इंसान को पत्थर का बना डाला
क्यूँ करके दुआ उसको आँखों में बसा डाला ...
Tuesday, 27 November 2012
Monday, 26 November 2012
Friday, 23 November 2012
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